BA Semester-5 Paper-2 Fine Arts - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2804
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- बसोहली शैली का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. बसोहली शैली के मुख्य विषय क्या थे?
2. बहसोली शैली की मानवाकृतियाँ कैसी थी ?

उत्तर-

बसोहली शैली

बसोहली, जम्मू राज्य के कथुआ नामक जिले में हैं। यह एक गाँव है, अब पहले जैसा तो गौरव इस स्थान का नहीं है, परन्तु भग्न खण्डहर उसके अतीत के गौरव का अब भी आभास कराते हैं।

अभी थोड़े ही समय पूर्व बसोहली शैली का स्वतन्त्र अस्तित्व प्रकाश में आया है। इससे पहले बसोहली शैली के चित्रों को तिब्बती कहा जाता था क्योंकि कुछ गहरे लाल किनारी वाले, पीले व लाल सपाट रंगों से बने चित्र अमृतसर के बाजारों में 'तिब्बती' कह कर बिकते थे। सर्वप्रथम बसोहली शैली के चित्रों का उल्लेख 'आयलोजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया' की वार्षिक रिपोर्ट में सन् 1918-19 में हुआ।

बसोहली शैली के विषय

वैष्णव धर्म के प्रचार के कारण 'बसोहली' शैली पर विशेष प्रभाव पड़ा। हिन्दू धर्म से ओत-प्रोत ही सारी रचनायें हुईं। विष्णु तथा उनके दशावतारों का चित्रण हुआ। रामायण, भागवत और महाभारत, विशेष रूप से चित्रित हुये हैं।

राजा कृपाल पाल ने भानुदत्त कृत 'रसमंजरी' का चित्रण कराया। इसमें नायिका नायिका भेद तथा शृंगारिक चित्रण है, जिसको बड़े चाव से चित्रित किया गया है। कृष्ण उसमें मुख्य नायक हैं।

'गीत-गोविन्द' पर भी बहुत चित्र बने । 'बारहमासा' तथा भगवान कृष्ण के नायक के रूप में चित्र बने।

व्यक्ति चित्र भी इस शैली के अन्तर्गत बने जिसमें संगीतकारों व सन्तों आदि के चित्र बनाये गये। राधा व कृष्ण को आत्मा और परमात्मा के रूप में मानकर चित्रित किया गया है। रीतिकालीन कवियों का रहस्यवाद इन चित्रों में देखने को मिलता है। रागमाला के चित्र भी इस शैली में बने।

बसोहली शैली की विशेषताएँ

1. नेत्र चित्रण - बसोहली शैली की मुख्य विशेषता उसमे चित्रित आँखें हैं। पद्याकार, कर्ण स्पर्शी तथा रस भाव पूरित क्षेत्र बसोहली शैली की विशेषता है।

2. हाशिये - लाल रंग के हाशिये अधिकतर हैं, कहीं-कहीं पीले रंग का हाशिया भी मिलता है, 'रस मंजरी' और 'गीत-गोविन्द' के चित्रों के पीछे संस्कृत के श्लोक लिखे हुए हैं। किनारों पर टाकरी लिपी है। कहीं-कहीं हाशियों में काली रेखाओं के बीच पीला रंग भरा हुआ है, परन्तु उसके बाद लाल हाशिया भी है जो पीले से अधिक चौड़ा है।

3. रंग योजना - जबकि काँगड़ा के चित्रों की विशेषता उनमें छन्दमय रेखायें हैं, बसोहली की विशेषता इसकी रंग योजना में हैं, जो बहुत आकर्षक है। लाल और पीला रंग बरसात का द्योतक है। रंगों का प्रयोग प्रतीकात्मक से हुआ है। जैसे पीला रंग बहुत आकर्षक लगता है। प्रेमियों के लिये यह मौसम प्रेम ज्वरी पैदा करता है। नीला रंग कृष्ण का प्रतीक है तथा भूमि को उर्वरा बनाने वाले काले बादलों का प्रतीक है। लाल रंग प्रेम के देवता का प्रतीक है। नीला, पीला व लाल, नीले रंगों का मिश्रण इस शैली में मुग्धकारी है। रंग चमकदार है। 'गीत गोविन्द' में विशेषतया पीला, लाल, नीला, भूरा व मटियाला सुन्दर रंग सुन्दरता प्रदान करता है।

सोने व चाँदी के रंगों का प्रयोग एक और विशेषता है, जो साड़ियों की सजावट व आभूषण के लिए किया गया है। सोने से आभूषण बने हैं तथा चाँदी से खिड़की, खम्भे, प्राचीर आदि को सजाया गया है। मोतियों के हार उभरे हुए सफेद रंग से दिखाये गए हैं।

दृश्य चित्रण - अजित घोष के अनुसार दृश्य चित्र सजावट के लिए बनाए गए हैं। सूर्य का प्रकाश पीले रंग को दिखाया गया है। बसोहली शैली में वर्षा, बादलों व बिजली का बहुत हो सजीव अंकन हुआ है। 'रस मन्जरी' में बादलों का सुन्दर चित्रण है, जिनमें से सुनहरी रंग की बिजली नागिन की तरह चमकती हुई दिखाई गई है। हल्की व भारी वर्षा को भी चित्रित, छोटी बुन्दकियों और सीधी रेखाओं से दिखाया गया है। जल का चित्रण बहुत है, किनारों पर कमल बनाए गए हैं तथा कहीं-कहीं बगुले भी दिखाए गये हैं।

5. वृक्षों का प्रतीकात्मक चित्रण - वृक्षों का प्रतीकात्मक चित्रण हुआ है। प्रेमाग्नि में नायिका झुकी हुई विलो वृक्ष की डाल के नीचे दिखाई गयी है। पके हुए आम नारी के शारीरिक सौन्दर्य का द्योतक है। इस प्रकार विभिन्न पेड़ों द्वारा विभिन्न भावों का अंकन है। वही पेड़ इन चित्रों में मिलते हैं जो पहाड़ों पर मिलते हैं, उन्हीं के द्वारा चित्रकार ने भावनाओं को प्रदर्शित करने के लिए प्रतीकात्मकता का सृजन किया। वृक्षों में प्राकृतिक सौन्दर्य न होकर अलंकरण अधिक है । पत्तों को अलंकृत करके एक आलेखन का रूप देने का प्रयास किया गया है।

6. वेशभूषा - वेशभूषा का चित्रण विशेष प्रकार का है। पुरुषों को औरंगजेब कालीन मुगल ढंग का घेरदार अंगरखा तथा पीछे झुकी हुई पगड़ी पहनाई गई है। ऐसा ही एक राजा कृपाल पाल का चित्र है। 'रस मंजरी' में स्त्रियों को चुस्त पजामा पहनाया गया है जो धारीदार है । चोली है और रेशमी चुन्नी है। कहीं-कहीं घाघरा पहनाया गया है। सिर पर पारदर्शी दुपट्टा है जो 'गीत-गोविन्द' की वेशभूषा में चित्रित है। कृष्ण को पीताम्बर पहनाकर चित्रित किया है और उनके गले में सफेद लम्बी माला हैं

7. भवन सज्जा - इस शैली में भवन निर्माण तथा सज्जा विशिष्ट प्रकार की है। अलंकृत दरवाजे, लकड़ी के नक्काशीदार खम्भे तथा जालीदार खिड़कियाँ बहुत सुन्दर हैं। 'रस मंजरी' के चित्रण के आलेखन युक्त कालीन, सुन्दर तकिये, मुड़े हुये दरबारी परदे तथा भवन के ऊपर झालरदार गुम्बद बहुत ही सुन्दर है। यह सजावट जहाँगीर व अकबर के समय की चित्र शैली से मिलती-जुलती है। शराब के बर्तन, गुलाब जल छिड़कने के बर्तन, फूलदान तथा फल की तश्तरियाँ शयन कक्ष में बड़ी सुन्दरता से चित्रित हैं जहाँ नायक व नायिकाओं की प्रणय लीला दिखाई गई है। कबूतर व तोते के जोड़े भी यदा-कदा इस अवसर पर बनाये हैं, जिससे वातावरण और रोमांचकार हो जाता है।

8. मानवाकृतियाँ - मानवाकृतियों में चटख रंगों में चेहरा बनाने की एक नवीन प्रणाली 'बसोहली' की विशेषता है। बसोहली के चेहरों की बनावट कुछ मौलिकता लिये है जिसमें ढालदार माथा, एक ही प्रवाहदार ऊँची नाक, कमल के समान नेत्र जो बहुत विशाल हैं। बादाम के रंग वाले शरीर । नायिका 'गंगी' ने, जो कि डोगरा के लोक गीतों में प्रसिद्ध नायिका है, वहाँ के चित्रकारों को बहुत प्रेरणा प्रदान की है। नारी का सौन्दर्य उसमें बड़े-बड़े कामासक्त नेत्रों से दर्शाया गया है। नारियों को सुन्दर आभूषणों से युक्त तथा झीने वस्त्रों से बहुत आकर्षक बनाया गया है। बसोहली के चित्रों में प्रेम तथा रोमांच कूट-कूट कर भरा है। ऐसा लगता है कि उस समय बसोहली बहुत ही सम्पन्न तथा खुशहाल प्रदेश था, जिसके कारण वहाँ के वातावरण की सुरम्यता में मानव प्रेम विभोर हो गया तथा विलासिता की ओर बढ़ा।

9. हस्त मुद्राओं द्वारा भाव प्रदर्शन - बसोहली शैली की यह भी एक विशेषता रही है कि हरत मुद्राओं द्वारा भावों का बड़ा प्रांजल प्रदर्शन हुआ है। यह भारतीय कला का सर्वोच्च गुण रहा है।

10. शृंगारिक चित्र - बसोहली शैली के चित्रों में शृंगारिक चित्रण भी मिलता है। रोमांटिक चित्र भी इस शैली में बने। नायिका का नायक से अन्धेरी वर्षा की रात में मिलने जाना एक मोहक चित्र है। कृष्ण की मुरली सुनकर गोपी का विह्वल होना भी एक चित्र में दिखाया गया है। नायक-नायिकाओं को प्रेमालाप आदि चित्र उच्च कोटि के बने हैं।

11. ऊँचा क्षितिज - बसोहली के चित्रों में ऊँचा क्षितिज बना है जो कि ऊपर की ओर एक पट्टी के आकार का है। यह देखते ही इस शैली को पहचान लिया जाता है। इस छोटे से पट्टीनुमा क्षितिज में ही रात्रि एवं दिन का चित्रण तारे तथा बादल आदि से किया गया है। गहरे गीले आकाश में सफेद बादल बनाये गये हैं।

12. सजीव चित्र - कलाकारों ने जो भी वातावरण या भाव दिखाने का प्रयास किया है सफलता से किया है। चित्रों में गति है तथा लय है जिसके कारण उनमें सजीवता है।

13. भित्ति चित्र - बसोहली शैली में भित्ति चित्रण भी हुआ है, जो कि काँगड़ा में नहीं हुआ।

14. लोक कला पर आधारित चित्र - बसोहली शैली में चित्र अभिजात्य न होकर लोककला से परिपूर्ण है। मानवाकृतियों तथा पेड़-पौधों के अलंकरण को देखकर यह सहज ही पता चल जाता है। वास्तविक प्रकृति को अलंकृत करके चित्रित किया गया है।

देखने में तो बसोहली के चित्र बड़े सुन्दर तथा आनन्ददायक हैं, वे मानव प्रेम तथा रोमांच से ओत-प्रोत हैं, परन्तु उसमें आध्यात्मिक छिपी हुई है। नायक कृष्ण तो परमात्मा का प्रतीक है और नारी आत्मा है, जो परमात्मा के लिये कितने कष्ट उठाती है और अन्त में उसी में विलीन हो जाती है।

बसोहली के शैली के चित्रकारों में मनकू, देवीहास, सजनू, डोंडी तथा नैनसुख के नाम प्रमुख हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- पाल शैली पर एक निबन्धात्मक लेख लिखिए।
  2. प्रश्न- पाल शैली के मूर्तिकला, चित्रकला तथा स्थापत्य कला के बारे में आप क्या जानते है?
  3. प्रश्न- पाल शैली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- पाल शैली के चित्रों की विशेषताएँ लिखिए।
  5. प्रश्न- अपभ्रंश चित्रकला के नामकरण तथा शैली की पूर्ण विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- पाल चित्र-शैली को संक्षेप में लिखिए।
  7. प्रश्न- बीकानेर स्कूल के बारे में आप क्या जानते हैं?
  8. प्रश्न- बीकानेर चित्रकला शैली किससे संबंधित है?
  9. प्रश्न- बूँदी शैली के चित्रों की विशेषताओं की सचित्र व्याख्या कीजिए।
  10. प्रश्न- राजपूत चित्र - शैली पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  11. प्रश्न- बूँदी कोटा स्कूल ऑफ मिनिएचर पेंटिंग क्या है?
  12. प्रश्न- बूँदी शैली के चित्रों की विशेषताएँ लिखिये।
  13. प्रश्न- बूँदी कला पर टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- बूँदी कला का परिचय दीजिए।
  15. प्रश्न- राजस्थानी शैली के विकास क्रम की चर्चा कीजिए।
  16. प्रश्न- राजस्थानी शैली की विषयवस्तु क्या थी?
  17. प्रश्न- राजस्थानी शैली के चित्रों की विशेषताएँ क्या थीं?
  18. प्रश्न- राजस्थानी शैली के प्रमुख बिंदु एवं केन्द्र कौन-से हैं ?
  19. प्रश्न- राजस्थानी उपशैलियाँ कौन-सी हैं ?
  20. प्रश्न- किशनगढ़ शैली पर निबन्धात्मक लेख लिखिए।
  21. प्रश्न- किशनगढ़ शैली के विकास एवं पृष्ठ भूमि के विषय में आप क्या जानते हैं?
  22. प्रश्न- 16वीं से 17वीं सदी के चित्रों में किस शैली का प्रभाव था ?
  23. प्रश्न- जयपुर शैली की विषय-वस्तु बतलाइए।
  24. प्रश्न- मेवाड़ चित्र शैली के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  25. प्रश्न- किशनगढ़ चित्रकला का परिचय दीजिए।
  26. प्रश्न- किशनगढ़ शैली की विशेषताएँ संक्षेप में लिखिए।
  27. प्रश्न- मेवाड़ स्कूल ऑफ पेंटिंग पर एक लेख लिखिए।
  28. प्रश्न- मेवाड़ शैली के प्रसिद्ध चित्र कौन से हैं?
  29. प्रश्न- मेवाड़ी चित्रों का मुख्य विषय क्या था?
  30. प्रश्न- मेवाड़ चित्र शैली की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ।
  31. प्रश्न- मेवाड़ एवं मारवाड़ शैली के मुख्य चित्र कौन-से है?
  32. प्रश्न- अकबर के शासनकाल में चित्रकारी तथा कला की क्या दशा थी?
  33. प्रश्न- जहाँगीर प्रकृति प्रेमी था' इस कथन को सिद्ध करते हुए उत्तर दीजिए।
  34. प्रश्न- शाहजहाँकालीन कला के चित्र मुख्यतः किस प्रकार के थे?
  35. प्रश्न- शाहजहाँ के चित्रों को पाश्चात्य प्रभाव ने किस प्रकार प्रभावित किया?
  36. प्रश्न- जहाँगीर की चित्रकला शैली की विशेषताएँ लिखिए।
  37. प्रश्न- शाहजहाँ कालीन चित्रकला मुगल शैली पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- अकबरकालीन वास्तुकला के विषय में आप क्या जानते है?
  39. प्रश्न- जहाँगीर के चित्रों पर पड़ने वाले पाश्चात्य प्रभाव की चर्चा कीजिए ।
  40. प्रश्न- मुगल शैली के विकास पर एक टिप्पणी लिखिए।
  41. प्रश्न- अकबर और उसकी चित्रकला के बारे में आप क्या जानते हैं?
  42. प्रश्न- मुगल चित्रकला शैली के सम्बन्ध में संक्षेप में लिखिए।
  43. प्रश्न- जहाँगीर कालीन चित्रों को विशेषताएं बतलाइए।
  44. प्रश्न- अकबरकालीन मुगल शैली की विशेषताएँ क्या थीं?
  45. प्रश्न- बहसोली चित्रों की मुख्य विषय-वस्तु क्या थी?
  46. प्रश्न- बसोहली शैली का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- काँगड़ा की चित्र शैली के बारे में क्या जानते हो? इसकी विषय-वस्तु पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- काँगड़ा शैली के विषय में आप क्या जानते हैं?
  49. प्रश्न- बहसोली शैली के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
  50. प्रश्न- बहसोली शैली के लघु चित्रों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  51. प्रश्न- बसोहली चित्रकला पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  52. प्रश्न- बहसोली शैली की चित्रगत विशेषताएँ लिखिए।
  53. प्रश्न- कांगड़ा शैली की विषय-वस्तु किस प्रकार कीं थीं?
  54. प्रश्न- गढ़वाल चित्रकला पर निबंधात्मक लेख लिखते हुए, इसकी विशेषताएँ बताइए।
  55. प्रश्न- गढ़वाल शैली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की व्याख्या कीजिए ।
  56. प्रश्न- गढ़वाली चित्रकला शैली का विषय विन्यास क्या था ? तथा इसके प्रमुख चित्रकार कौन थे?
  57. प्रश्न- गढ़वाल शैली का उदय किस प्रकार हुआ ?
  58. प्रश्न- गढ़वाल शैली की विशेषताएँ लिखिये।
  59. प्रश्न- तंजावुर के मन्दिरों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- तंजापुर पेंटिंग का परिचय दीजिए।
  61. प्रश्न- तंजावुर पेंटिंग की शैली किस प्रकार की थी?
  62. प्रश्न- तंजावुर कलाकारों का परिचय दीजिए तथा इस शैली पर किसका प्रभाव पड़ा?
  63. प्रश्न- तंजावुर पेंटिंग कहाँ से संबंधित है?
  64. प्रश्न- आधुनिक समय में तंजावुर पेंटिंग का क्या स्वरूप है?
  65. प्रश्न- लघु चित्रकला की तंजावुर शैली पर एक लेख लिखिए।

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